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जावेद खान।
गोंदिया। पूरे देश की जनता को 4 जून का बड़ी बेसब्री से इंतजार है। ये दिन इसलिए खास है, चूंकि इस दिन देश की सर्वोच्च सदन के लिए हमारे मतो के अधिकार से चुने जाने वाले संसद सदस्य का फैसला आने वाला है। इस दिन को लेकर सबसे ज्यादा बेचैनी राजनीतिक दलों में देखी जा रही है, उनकी धड़कनें तेज हो रही है। देश की सर्वोच्च सदन “लोकसभा” में 4 जून को नागरिकों के मताधिकार से पहुँचने वाले सर्वाधिक सदस्य किस पक्ष के होंगे, कौन सरकार बनाएगा, कौन देश की बागडोर संभालेगा। इसे लेकर दिमागी कीड़े बैचैन हो रहे है। और ये तभी शांत होंगे जबतक 4 जून नही आ जाती।
बहरहाल हम बात करेंगे विदर्भ के भंडारा-गोंदिया संसदीय क्षेत्र की। यहां प्रथम चरण के दौरान ही चुनाव संपन्न हो गया। 19 अप्रैल से एक-एक दिन प्रत्याशियों के लिए बहोत भारी जा रहा है। रोजाना वोटों के गणित आंकड़ों में डूबे प्रत्याशी हर हाल में खुद को बेहतर साबित कर रहे है। कोई प्रचंड मतो से जितने का दम दिखा रहा है तो कोई इस बार बदलाव बता रहा है।
निर्वाचन क्षेत्र में किसी भी राजनीतिक दलों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। बड़ी-बड़ी जनसभाओ को राष्ट्रीय नेताओं ने संबोधित किया। बड़े-बड़े वादे किए, आरोप-प्रत्यारोप के बाण चले। पार्टियों के दिग्गज नेताओं ने इसे प्रत्याशी का नही अपना चुनाव मान लिया। खुद का चेहरा फेसकर वोटों की अपील की।
लोकसभा चुनाव को इसलिए अलग रूप में देखा जा रहा है क्योंकि यहां प्रतिष्ठा प्रत्याशी की नहीं, पार्टी के नेताओ की लगी है। लोकसभा क्षेत्र में दिग्गज नेताओं की कमी नही। एक पाले में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्तर के नेता खड़े है तो दूसरे पाले में एक दल के प्रदेशाध्यक्ष।
4 जून को चार दिन शेष रह गए है। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो जीतेगा वही जिसे हर विधानसभा क्षेत्र में लीड मिलेगी। पर मतो की बढ़ोत्तरी किसी भी प्रत्याशी की स्थिर नजर नही आ रही है। वोटों के गणित के आंकड़े, जाती फेक्टर पर भी हावी हो सकते है। वोटों का बंटवारा भी बड़ा गणित बिगाड़ सकता है। हार-जीत का अंतर कम फासलों से तय हो सकता है।
वैसे तो इस लोकसभा क्षेत्र से कुल 18 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ईव्हीएम मशीनों में बंद है। परंतु असली लड़ाई भाजपा महायुति के प्रत्याशी और कांग्रेस के इंडिया गठबंधन प्रत्याशी के बीच है। अब ईव्हीएम के पिटारे से 4 जून को किसे अधिक वोटों की ताकत मिलती है ये देखना शेष रह गया है।